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उज्जायी प्राणायाम : विधि और लाभ

उज्जायी (Ujjayi) एक संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब होता है जीतना या विजय प्राप्त करना। उज्जायी प्राणयाम (Ujjayi Pranayama) मन की शांति और शरीर में गर्माहट बनाए रखने में मदद करता है। उज्जायी प्राणायाम करते समय फेफड़ों में मौजूद सांस को महसूस कर सकते हैं। इसमें दोनों नासिकाओं से धीरे धीरे सांस लिया जाता है और जब सांस छोड़ा जाता है तो दाएं नासिका को बंद कर बायीं नासिका से सांस को धीरे धीरे निकाला जाता है। जब दोनों नासिका से सांस लिया जाता है तो गर्दन के थाइरोइड वाले हिस्से को कंपन कराके ऊं की ध्वनि उत्पन्न की जाती है। यह ध्वनि उज्जयी प्राणायाम की विशिष्टता है।

उज्जायी प्राणायाम करने की विधि :-

  1. एक शांत जगह पर बैठ जाएं। आप सुखासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
  2. उज्जायी प्राणायाम में गले को टाइट करके लंबा गहरा सांस भरते हैं ।
  3. जब दोनों नासिका से सांस लें तो गले के पिछले हिस्से (थाइरोइड वाले हिस्से) में "उउऊं" की कंपन ध्वनि उत्पन्न होती है । ये ध्वनि हल्की और समान होनी चाहिए।
  4. साँस को भरकर के रोक के रखते हैं। सांस रोकते वक्त जालंधर बंध लग जाता है, आप चाहें तो मूल बंध भी लगा सकते हैं।
  5. हाथों को ध्यान मुद्रा या वायु मुद्रा में रख सकते हैं।
  6. सांस को यथाशक्ति रोकने के बाद दाएं नासिका को बंद करके धीरे-धीरे बाएं नासिका से बाहर छोड़ें।
  7. दूसरी बार बाएं नासिका को बंद करते हुए सांस को दाएं नासिका से छोड़ें
  8. शुरुआत में यह प्राणयाम कम से कम 5 मिनट तक करें और इसके बाद इसे बढ़ाते हुए 15 मिनट तक लेकर जाएं।

उज्जायी प्राणायाम करने की समय व् अविधि :-

इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। सांस अंदर लेने का समय करीब 5-7 सेकंड तक का होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 15-20 सेकंड तक का होना चाहिए।

उज्जायी प्राणायाम के लाभ :-

  1. थायरॉईड ग्रंथि में फायदेमंद : यह प्राणायाम थायराइड ग्रंथि के रोग को भी यह दूर करता है और उसको स्वस्थ बनाए रखता है। थायराइड शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।
  2. गैस,कफ रोगों में फायदेमंद : इस प्रणायाम के नियमित अभ्यास से कफ रोग, अजीर्ण, गैस की समस्या दूर होती है। ये सभी रोग पेट से ही होते हैं अगर हम इस प्राणायाम को नियमित रूप से करते हैं तो आपका पेट साफ़ रहता है और आप इन रोगों से बच जाते हैं।
  3. ह्रदय रोगों में फायदेमंद : इस प्राणायाम के अभ्यास से हम ह्रदय के ज्यादातर सभी रोगों को नष्ट कर सकते हैं क्यूंकि ह्रदय से भी हमारे बहुत से रोग उत्पन्न होते हैं जैसे हर्ट अटैक, ब्लोकैज इत्यादि। अगर हमारा ह्रदय सही है तो हम इन रोगों से छुटकारा पा सकते हैं।
  4. स्वास व् साइनस रोग में फायदेमंद : यह प्राणायाम श्वास रोग और साइनस में लाभदायक होता है। साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से जाना जाता है। सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है।
  5. कुण्डलिनी शक्ति जागरण हेतु : यह कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने में सहयोग करता है। कुंडलिनी जाग्रत होने से ऊर्जा का एक पूरी तरह से नया स्तर जीवंत होने लगता है, और आपका शरीर और बाकी सब कुछ भी बिल्कुल अलग तरीके से काम करने लगता है।
  6. Hypothyroidism में फायदेमंद : Hypothyroidism से पीड़ित व्यक्तिओ के लिए यह प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है। हाइपोथायरायडिज्म या अवटु अल्पक्रियता मनुष्य और जानवरों में एक रोग की स्थिति है जो थायरॉयड ग्रंथि से थायरॉयड हॉर्मोन के अपर्याप्त उत्पादन के कारण होती है। अवटुवामनता (Cretinism) हाइपोथायरायडिज्म का ही एक रूप है जो छोटे बच्चों में पाया जाता है।
  7. खर्राटे में फायदेमंद : खर्राटों की समस्या में लाभ मिलता है। जब सोते हुए व्यक्ति के नाक से अपेक्षाकृत तेज आवाज निकलती है तो इसे खर्राटे लेना (snoring) कहते हैं। इसे ‘ओब्स्टृक्टिव स्लीप अप्निया’ कहा जाता है; अर्थात नींद में आपकी साँस में अवरोध उत्पन्न होता है।
  8. दमा और TB में फायदेमंद : इसको करने से दमा और TB से पीड़ित व्यक्तिओ को लाभ मिलता है। अस्थमा (दमा) श्वसन मार्ग का एक आम जीर्ण सूजन disease वाला रोग है जिसे चर व आवर्ती लक्षणों, प्रतिवर्ती श्वसन बाधा और श्वसनी-आकर्षसे पहचाना जाता है।
  9. दूषित पधार्तों को बहार करने के लिए : उज्जयी प्राणायाम से शरीर के दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं और इस लिए यह मुंहासो से पीड़ित व्यक्तिओ में लाभकर हैं।
  10. पेट की चर्बी को करता है कम : यह प्राणायाम पेट की चर्बी को कम करने में हमारी मदद करता है। पेट की चर्बी या शरीर के अन्य भागों की चर्बी, वसा की एक विशेष रूप से हानिकारक प्रकार है जो आपके अंगों के आसपास जमा होती है।
  11. पीठ दर्द में फायदेमंद : पीठदर्द से परेशान व्यक्तियों के लिए ये प्राणयाम बहुत ही मददगार हैं। पीठ दर्द (“डोर्सलाजिया ” के नाम से भी जाना जाता है) पीठ में होनेवाला वह दर्द है, जो आम तौर पर मांसपेशियों, तंत्रिका, हड्डियों, जोड़ों या रीढ़ की अन्य संरचनाओं में महसूस किया जाता है।
  12. मन व् दिमाग को करे शांत : इसके नियमित अभ्यास से मानसिक तनाव दूर होकर मन शांत होता है। चिकित्सा शास्त्र डिप्रेशन का कारण मस्तिष्क में सिरोटोनीन, नार-एड्रीनलीन तथा डोपामिन आदि न्यूरो ट्रांसमीटर की कमी मानता है। तो आप इन सब से छुटकारा पाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम को करें।
  13. फेफड़ों को मजबूत बनता है : इसका सबसे अच्छा फायदा ये है की ये हमारे फेफड़ों को मजबूत बनता है। फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं। इंसान हर रोज करीब 20 हजार बार सांस लेता है और हर सांस के साथ जितनी ज्यादा ऑक्सीजन शरीर के अंदर पहुंचती है, शरीर उतना ही सेहतमंद बना रहता है। इसके लिए जरूरी है कि फेफड़ेे स्वस्थ रहें। इस प्राणायाम से आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और उनकी प्राणवायु लेने की क्षमता में वृद्धि होती हैं।
  14. खून का संचार ठीक से होता है : उज्जयी प्राणायाम को करने से खून का संचार ठीक से होता है। अगर हमारा रक्‍त संचार सामान्‍य रहे तो दिल की बीमारियां न हों और न ही दूसरी बीमारियां, लेकिन कई कारक ऐसे भी हैं जिनसे ब्‍लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
  15. पाचन क्रिया को ठीक रखता है : इस प्राणायाम से पाचन क्रिया अच्छी बनी रहती है और यह श्वसन प्रणाली को भी सेहतमंद बनाये रखता है पाचन वह क्रिया है जिसमें भोजन को यांत्रि‍कीय और रासायनिक रूप से छोटे छोटे घटकों में विभाजित कर दिया जाता है ताकि उन्हें, उदाहरण के लिए, रक्तधारा में अवशोषित किया जा सके. पाचन एक प्रकार की अपचय क्रिया है: जिसमें आहार के बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में बदल दिया जाता है।
  16. नाड़ी सम्बंधित विकार दूर होते हैं : यह नाड़ी से सम्बंधित विकार को दूर करता है और ऊर्जा के प्रवाह में मदद करता है। और साथ ही गर्दन में मौजूद पैराथाइरॉइड को भी स्वस्थ रखता है।
  17. मस्तिष्क से गर्मी को दूर करता है : उज्जयी प्राणायाम मस्तिष्क से गर्मी दूर कर इसे ठंड पहुँचता है।मस्तिष्क (दिमाग), मेरुदण्ड और तंत्रिकाएँ (नसें) मिलकर तंत्रिका तंत्र बनाते हैं। यह एक जटिल तंत्र है। इसमें पर्यावरण में होने वाले परिर्वतन जैसे गरमी, ठंड, और सारे शरीर के भीतर के सामान्य जैसे भूख, प्यास आदी और असामान्य संवेदन दर्द,उल्टी आदी के बारे में जानकारी इकट्ठी होती है।

बाबा रामदेव को उज्जायी प्राणायाम करते हुए देखें

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